
3 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को पापांकुशा एकादशी थी। नीचे पूरा विवरण है — क्या हुआ, क्यों मनाया जाता है, महत्व और व्रत की कथा आदि:
पापांकुशा एकादशी कब थी एकादशी तिथि 2 अक्टूबर 2025 को शाम लगभग 7:10 बजे से शुरू हुई और 3 अक्टूबर की शाम लगभग 6:32 बजे तक चली। व्रत तोड़ने (पारण) की समय सीमा 4 अक्टूबर की सुबह लगभग 6:16 बजे से 8:37 बजे के बीच थी।
पापांकुशा एकादशी: अर्थ और नाम “पाप” = पाप, “अंकुश” = बंधन या तीर-नियंत्रण का औजार। पापांकुशा का मतलब है पापों को अंकुश लगाना, पापों से मुक्ति पाना। यह एकादशी विष्णु-भक्तों द्वारा पूजा की जाती है, विशेष रूप से विष्णु के पद्मनाभ (Lotus-naveled Lord) स्वरूप की अराधना होती है।
व्रत की कथा (व्रत कथा) विभिन्न पुराणों के अनुसार कुछ इस प्रकार है: एक कथा के अनुसार, एक शिकारी था जिसका नाम क्रोधना था, जो बहुत पापी और निर्दयी था। वह वृद्धावस्था में पापों की स्थिति से चिंतित हुआ, मृत्यु के पश्चात होने वाली पीड़ा से भयभीत था। उसने ऋषि अंगिरा से सलाह ली, जिनसे उसे पापांकुशा एकादशी उपवास करने की प्रेरणा मिली। इस व्रत और पूजा-भक्ति से उस शिकारी को अपने पापों से मुक्ति मिली और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।
महत्व और लाभ पापांकुशा एकादशी के कई लाभ माने जाते हैं: पापों की शुद्धि — पिछले पापों और गलत कर्मों से मुक्ति मिलती है आध्यात्मिक प्रगति — भक्ति, पूजा, व्रत और मनन से आत्मा की उन्नति होती है। दुःख और बंधनों से छुटकारा — जैसे मानसिक, आत्मिक बंधन, दोष, एवं कलुष से मुक्ति। मदुर्य प्राप्ति तथा वैभव — अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि, धन-सुख की कामना पूरी होने की आस्था। Rudraksha मोक्ष का मार्ग — ऐसा माना जाता है कि इस व्रत से परम पुण्य मिलता है, मोक्ष के मार्ग पर सहायता होती है।
कैसे मनाया जाता है (अनुष्ठान / व्रत विधि)